वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकः प्रिय
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!

Lord Ganesha has a special place among the Hindu gods. He is the first deity to be worshipped before performing any puja, and is known as the remover of obstacles. He is also known as the bestower of wisdom, which is why children are encouraged to chant his mantras and worship him. With the elephant head storing all the wisdom in the world, Lord Ganesha is one of the coolest gods in the Sanathan Dharma.

वैसे तो गणपति कहीं एक दिन, कहीं 3 दिन, कहीं 5, 7 दिन या कहीं पूरे 10 दिन तक विराजते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन ही खत्म होता है और इस दिन तक गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन हर दशा में हो जाना चाहिए।

Jai ganesha

गणेश ‘विसर्जन का मतलब

गणेश ‘विसर्जन का मतलब गणेश ‘विसर्जन ये सिखाता है कि मिट्टी से जन्में शरीर को मिट्टी में ही मिलना है। गणेश जी की प्रतिमा मिट्टी से बनती है और पूजा के बाद वो मिट्टी में मिल जाती है। गणेश जी को मूर्त रूप में आने के लिए मिट्टी का सहारा लेना पड़ता है, मिट्टी प्रकृति की देन है लेकिन जब गणेश जी पानी में विलीन होते हैं तो मिट्टी फिर प्रकृति में ही मिल जाती है। मतलब ये कि जो लिया है उसे लौटाना ही पड़ेगा, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा।

ये धर्म और विश्वास की बात है कि हम गणेश जी को आकार देते हैं लेकिन ऊपर वाला तो निराकार है और सब जगह व्याप्त है लेकिन आकार को समाप्त होना पड़ता है इसलिए ‘विसर्जन’ होता है।

मोह-माया को त्यागो ‘विसर्जन’ ये सिखाता है कि सांसरिक वस्तुओं से इंसान को मोह नहीं होना चाहिए क्योंकि इसे एक दिन छोड़ना पड़ेगा। गणेश जी घर में आते हैं, उनकी पूजा होती है और उसके बाद मोह-माया बिखेरकर वो हमसे विदा हो जाते हैं ठीक उसी तरह जीवन भी है, इसे एक दिन छोड़कर जाना होगा इसलिए इसके मोह-माया नहीं फंसना चाहिए।

Special thanks to Mrs. Poonam Jataniya for bringing beautiful Lord bal Ganesha for Playscholars. 

गणपती बाप्पा मोरया, मंगल मुर्ती मोरया !

 

 

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